लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 आहार, पोषण एवं स्वच्छता

बीए सेमेस्टर-1 आहार, पोषण एवं स्वच्छता

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2637
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

बीए सेमेस्टर-1 आहार, पोषण एवं स्वच्छता

कैल्शियम की न्यूनता से होने वाले रोग

कैल्शियम की कमी से मनुष्य को विभिन्न अवस्थाओं में विभिन्न प्रकार के रोग हो जाते हैं। बच्चों में कैल्शियम की कमी से रिकेट्स नामक रोग हो जाता है। इससे बच्चों की टाँगें कमजोर और टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती हैं। पैर धनुषाकार हो जाते हैं तथा छाती की हड्डियाँ पोली हो जाती हैं।

प्रौढ़ावस्था में कैल्शियम की कमी से दुर्बलता आ जाती है। यह स्थिति ऑस्टियोमलेशिया कहलाती है। यह स्थिति पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों में ज्यादा दिखाई देती है। प्रायः गर्भावस्था व धात्री अवस्था में स्त्रियों को भ्रूण की वृद्धि के लिए ज्यादा कैल्शियम की जरूरत होती है। यह आवश्यकता पूर्ण न होने पर उनमें विकार उत्पन्न हो जाता है। निरन्तर कैल्शियम की कमी होती रहने से हड्डियों में से कैल्शियम बराबर खिंचता रहता है, जिससे हड्डियों में छोटे-छोटे छेद हो जाते हैं। यह स्थिति ऑस्टियोपोरोसिस कहलाती है।

शरीर में कैल्शियम की अधिकता के परिणाम

ऐसी स्थिति में भूख कम लगती है, कब्ज हो जाती है, वमन होने लगता है तथा शरीर की मांसपेशियाँ ढीली पड़ जाती हैं। रक्त में कैल्शियम की मात्रा बढ़ने के साथ-साथ यूरिया, प्लाज्मा कोलेस्टेरॉल भी बढ़ जाते हैं। गुर्दों में कैल्शियम एकत्र होने से स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। यह स्थिति प्रौढ़ व बच्चों दोनों की हो सकती है। कैल्शियम की अधिकता सम्बन्धी असामान्यता हाइपरकैल्सिमिया कहते हैं।

2. फॉस्फोरस - कैल्शियम के ही समान फॉस्फोरस भी एक आवश्यक एवं उपयोगी खनिज लवण है। हमारे शरीर में विद्यमान कुल खनिज - मात्रा का एक चौथाई भाग फॉस्फोरस ही होता है। फॉस्फोरस एक सरलता से उपलब्ध होने वाला खनिज है; अतः सामान्य रूप से शरीर में इसकी कमी की आशंका नहीं रहती।

फॉस्फोरस की प्राप्ति के प्रमुख स्त्रोत - प्रायः जिस आहार में कैल्शियम व प्रोटीन अच्छी मात्रा में उपस्थित होगा, उसमें फॉस्फोरस की उपस्थिति भी निश्चित रूप से होती है, किन्तु कैल्शियम की अपेक्षा फॉस्फोरस खाद्य-पदार्थों में सरलता से घुल-मिल जाता है। सामान्यतः खाद्य-पदार्थों में फॉस्फोरस का अभाव देखने में नहीं आता। फॉस्फोरस प्रोटीन के साथ संयुक्त होकर फॉस्फो प्रोटीन के रूप में दूध की प्रोटीन केसीन के रूप में मौजूद रहता है। अण्डे की जर्दी वाले भाग में न्यूक्लियोप्रोटीन में भी फॉस्फोरस पाया जाता है। अनेक वसाओं में फॉस्फोलिपिड तथा कार्बोहाइड्रेट्स में फॉस्फोरिक एस्टर के रूप में इसकी उपस्थिति पायी जाती है। विभिन्न अनाजों, दालों, महुए तथा तिल के बीजों में फाइटिन व फाइटिक अम्ल के रूप में फॉस्फोरस उपस्थित रहता है।

फॉस्फोरस के कार्य

फॉस्फोरस का अवशोषण तथा चयापचय — फॉस्फोरस का अवशोषण छोटी आँत में अकार्बनिक फॉस्फेट की भाँति होता है। फॉस्फोरस के कार्बनिक यौगिक (फाइटिक अम्ल) भी पुनः अवशोषण से पूर्व अकार्बनिक फॉस्फेट में परिवर्तित हो जाते हैं। अनाज व दालों के फॉस्फोरस का अवशोषण अण्डे, मांस व मछली आदि की तुलना में देर से होता है। 10-40% तक फॉस्फोरस की मात्रा शरीर के अंगों द्वारा उपयोग कर ली जाती है, शेष मात्रा गुर्दों द्वारा उत्सर्जित कर दी जाती है।

फॉस्फोरस की न्यूनता से व्यक्ति को किसी गम्भीर रोग से तो ग्रसित होने की सम्भावना रहती, परन्तु फॉस्फोरस हीनता से व्यक्ति में थकान, भूख न लगना आदि लक्षण प्रकट होते हैं तथा उसकी अस्थियों में खनिज लवण का क्षय होने लगता है।

3. सोडियम — सोडियम साधारण नमक का यौगिक सोडियम क्लोराइड का एक तत्त्व है। सोडियम (Sodium) प्राप्ति का सबसे अच्छा स्रोत खाने का नमक (Sodium Chloride — NaCl) है। साधारण नमक सोडियम व क्लोरीन का एक यौगिक है। हम अपने आहार में प्रतिदिन प्राय: 2-6 ग्राम सोडियम की मात्रा लेते हैं।

सोडियम के कार्य

(i) सोडियम शरीर में अम्लीय व क्षारीय स्थिति में सन्तुलन बनाए रखने में सहायक होता है।

(ii) सामान्य, स्वस्थ प्रौढ़ व्यक्ति के शरीर में लगभग 100 ग्राम सोडियम तत्त्व उपस्थित रहता है। शरीर के समस्त बाह्य कोशिकीय द्रव्यों एवं प्लाज्मा आदि में यह उपस्थित रहता है। सोडियम के अणु शरीर में क्लोराइड, कार्बोनेट, फॉस्फेट व प्रोटीनेट के रूप में रहते हैं।

(iii) यह हृदय की धड़कन तथा स्नायुओं द्वारा प्राप्त होने वाली उत्तेजना को नियमित बनाए रखता है।

(iv) मांसपेशियों के संकुचन तथा नाड़ी संस्थान की संवेदन शक्ति को बनाए रखता है।

सोडियम की दैनिक आवश्यकता - प्रतिदिन आहार में 2 से 6 ग्राम सोडियम की मात्रा लेना पर्याप्त होता है। खाने का नमक सोडियम का प्रमुख स्रोत है। अन्य भोज्य पदार्थ; जैसे दूध, छैना, अण्डा, मांस तथा कुछ सब्जियों में भी सोडियम की अल्प मात्रा उपस्थित रहती है।

4. पोटैशियम — पोटैशियम खनिज लवण (Potassium) की उपस्थिति अन्तःकोशिकीय द्रव्यों, लाल रक्त कणिकाओं एवं मांसपेशियों में रहती है। प्रत्येक सामान्य एवं स्वस्थ व्यक्ति को नित्य प्रति के आहार में इसकी 1.5-6.0 ग्राम तक मात्रा लेना पर्याप्त हो जाता है।.

पोटैशियम प्राप्ति के प्रमुख स्रोत- रसदार फलों; जैसे नींबू, सन्तरा आदि में पोटैशियम तत्त्व उपस्थित रहता है। दूध और दूध से बने पदार्थों में भी पोटैशियम तत्त्व पाया जाता है। चावल की ऊपरी परत एवं मक्का के आटे में भी इसकी अल्प मात्रा रहती है। यह खीरा, ककड़ी, टमाटर, आडू तथा अंगूर जैसे कुछ सब्जियों व फलों में भी पाया जाता है। आलू में भी इसकी उपस्थिति रहती है। समस्त वनस्पति भोज्य पदार्थ भी पोटैशियम के अच्छे स्रोत हैं। चाय, कॉफी, कोको, चावल की सफेदी में इसका आधिक्य होता है।

पोटैशियम की न्यूनता के प्रभाव - पोटैशियम की कमी की स्थिति में मांसपेशियाँ क्षीण हो जाती हैं, भूख मर जाती है, हृदय-स्पन्दन की गति भी अनियन्त्रित हो जाती है। व्यक्ति अशान्त, चिड़चिड़ा व परेशान सा रहने लगता है। एडीसन्स रोग में रक्त में पोटैशियम की मात्रा बढ़ जाती है। पोटैशियम की यह बढ़ी हुई स्थिति भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. आहार एवं पोषण की अवधारणा
  2. भोजन का अर्थ व परिभाषा
  3. पोषक तत्त्व
  4. पोषण
  5. कुपोषण के कारण
  6. कुपोषण के लक्षण
  7. उत्तम पोषण व कुपोषण के लक्षणों का तुलनात्मक अन्तर
  8. स्वास्थ्य
  9. सन्तुलित आहार- सामान्य परिचय
  10. सन्तुलित आहार के लिए प्रस्तावित दैनिक जरूरत
  11. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  12. आहार नियोजन - सामान्य परिचय
  13. आहार नियोजन का उद्देश्य
  14. आहार नियोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
  15. आहार नियोजन के विभिन्न चरण
  16. आहार नियोजन को प्रभावित करने वाले कारक
  17. भोज्य समूह
  18. आधारीय भोज्य समूह
  19. पोषक तत्त्व - सामान्य परिचय
  20. आहार की अनुशंसित मात्रा
  21. कार्बोहाइड्रेट्स - सामान्य परिचय
  22. 'वसा’- सामान्य परिचय
  23. प्रोटीन : सामान्य परिचय
  24. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  25. खनिज तत्त्व
  26. प्रमुख तत्त्व
  27. कैल्शियम की न्यूनता से होने वाले रोग
  28. ट्रेस तत्त्व
  29. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  30. विटामिन्स का परिचय
  31. विटामिन्स के गुण
  32. विटामिन्स का वर्गीकरण एवं प्रकार
  33. जल में घुलनशील विटामिन्स
  34. वसा में घुलनशील विटामिन्स
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  36. जल (पानी )
  37. आहारीय रेशा
  38. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  39. 1000 दिन का पोषण की अवधारणा
  40. प्रसवपूर्व पोषण (0-280 दिन) गर्भावस्था के दौरान अतिरिक्त पोषक तत्त्वों की आवश्यकता और जोखिम कारक
  41. गर्भावस्था के दौरान जोखिम कारक
  42. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  43. स्तनपान/फॉर्मूला फीडिंग (जन्म से 6 माह की आयु)
  44. स्तनपान से लाभ
  45. बोतल का दूध
  46. दुग्ध फॉर्मूला बनाने की विधि
  47. शैशवास्था में पौष्टिक आहार की आवश्यकता
  48. शिशु को दिए जाने वाले मुख्य अनुपूरक आहार
  49. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  50. 1. सिर दर्द
  51. 2. दमा
  52. 3. घेंघा रोग अवटुग्रंथि (थायरॉइड)
  53. 4. घुटनों का दर्द
  54. 5. रक्त चाप
  55. 6. मोटापा
  56. 7. जुकाम
  57. 8. परजीवी (पैरासीटिक) कृमि संक्रमण
  58. 9. निर्जलीकरण (डी-हाइड्रेशन)
  59. 10. ज्वर (बुखार)
  60. 11. अल्सर
  61. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  62. मधुमेह (Diabetes)
  63. उच्च रक्त चाप (Hypertensoin)
  64. मोटापा (Obesity)
  65. कब्ज (Constipation)
  66. अतिसार ( Diarrhea)
  67. टाइफॉइड (Typhoid)
  68. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  69. राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाएँ और उन्हें प्राप्त करना
  70. परिवार तथा विद्यालयों के द्वारा स्वास्थ्य शिक्षा
  71. स्थानीय स्वास्थ्य संस्थाओं के द्वारा स्वास्थ्य शिक्षा
  72. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रः प्रशासन एवं सेवाएँ
  73. सामुदायिक विकास खण्ड
  74. राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम
  75. स्वास्थ्य सम्बन्धी अन्तर्राष्ट्रीय संगठन
  76. प्रतिरक्षा प्रणाली बूस्टर खाद्य
  77. वस्तुनिष्ठ प्रश्न

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book